Monday, March 2, 2020

दिग्विजय का आरोप- विधायकों को 35 करोड़ का ऑफर दे रही भाजपा, शिवराज सीएम और नरोत्तम डिप्टी सीएम का सपना देख रहे

भोपाल/नई दिल्ली. कांग्रेस नेता और मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने आरोप लगाया कि कमलनाथ सरकार को अस्थिर करने के लिए भाजपा उनकी पार्टी के विधायकों को रिश्वत देने की कोशिश कर रही है।दिग्विजय ने दिल्ली में सोमवार को कहा कि भाजपा, शिवराज सिंह चौहान और नरोत्तम मिश्रा कांग्रेस के विधायकों को 25 से 35 करोड़ तक का ऑफर दे रहे हैं। यह कर्नाटक नहीं, मध्य प्रदेश है। उन्होंने कहा कि हमारे विधायक बिकाऊ नहीं हैं। इस पर पलटवार करते हुए शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि झूठ बोलना दिग्विजय की पुरानी आदत है।

दिग्विजय ने कहा- मैं बिना तथ्यों के आरोप नहीं लगाता। शिवराज और नरोत्तम में सहमति बन गई है। एक मुख्यमंत्री और दूसरा डिप्टी सीएम बनने का सपना देख रहे हैं। शिवराज और नरोत्तम कांग्रेस विधायकों को फोन कर रहे हैं और खुलेआम 25 से 35 करोड़ रुपए की पेशकश कर रहे हैं। 5 करोड़ अभी ले लो, दूसरी किश्त राज्यसभा चुनाव में और तीसरी किश्त सरकार गिराने (फ्लोर टेस्ट) के बाद दी जाएगी

दिग्विजय झूठ फैलाने में माहिर : शिवराज
पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि दिग्विजय सिंह मुख्यमंत्री कमलनाथ को ब्लैकमेल करना चाहते हैं। दिग्विजय झूठ फैलाने में माहिर हैं। उन्हें अपनी उपयोगिता दिखानी होगी और किसी को डराना-धमकाना होगा, इसलिए ऐसा बयान दे रहे हैं।

दिग्विजय सिंह ने 2019 में भी खरीद-फरोख्त का आरोप लगाया था
पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने जनवरी 2019 में भी भाजपा नेताओं पर कांग्रेस विधायकों को खरीदने का आरोप लगाया था। तब उन्होंने कहा था- भाजपा नेताओं द्वारा विधायकों को 100 -100  करोड़ के ऑफर दिए गए हैं, मेरे पास इसके सबूत हैं। इस पर भाजपा के निवर्तमान प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह ने कहा था कि दिग्विजय आरोप लगाने से पहले सोचें कि 100 करोड़ की राशि होती कितनी है।


कर्नाटक में 16 विधायकों के इस्तीफे के बाद गिरी थी सरकार
कर्नाटक में 16 विधायकों के इस्तीफे के बाद कांग्रेस-जेडीएस की 14 महीने पुरानी गठबंधन सरकार अल्पमत में आ गई थी। गठबंधन ने भाजपा पर विधायकों की खरीद-फरोख्त का आरोप लगाया था। फ्लोर टेस्ट में कुमारस्वामी सरकार गिर गई थी।

क्रॉस वोटिंग में कांग्रेस ने सिद्ध किया था बहुमत
कर्नाटक के घटनाक्रम के बाद मध्यप्रदेश में भी सरकार के फ्लोर टेस्ट की स्थिति बनी थी। 24 जुलाई 2019 को विधानसभा में विपक्ष के नेता गोपाल भार्गव ने सुबह मुख्यमंत्री को चुनौती दी कि पार्टी के नंबर एक और दो आदेश दे दें तो 24 घंटे में सरकार गिरा देंगे। इसके 5 घंटे बाद ही कमलनाथ ने बहुमत सिद्ध कर दिया था। विधानसभा में आपराधिक कानून (मध्यप्रदेश संशोधन) बिल, 2019 पर चर्चा के दौरान बिल पर वोटिंग हुई तो इसके समर्थन में 122 वोट पड़े जो बहुमत से 7 ज्यादा थे।

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